रणथंभौर दुर्ग
रणथंभौर क़िला सवाई माधोपुर
राजा हम्मीर सिंह (हमीर देव) गौत्र टाटू (मीणा) और अलाउद्दीन खिलजी के मध्य युद्ध सन् 1301 से 1312 तक, करीब 12वर्षो तक लंबा चला, मीणा राजा हमीर सिंह के दो पुत्र और एक पुत्री थी, दोनों पुत्र युद्ध में मारे गए, पुत्री का नाम देवल और पत्नी का नाम आशा मीणा था।
अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंभौर किले का घेरा डाल रखा था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल रही थी। आखिर में अलाउद्दीन ने धोखे से हमीर के एक सेनापति को अपनी और कर मीणा राजाओ के द्वारा बनाया गया अति प्राचीन अजेय दुर्ग पर कब्जा कर लिया था।
रणथंभौर किला महाभारत कालीन माना जाता है। (लगभग 5500 सौ साल पुराना) मीणा क्षत्रियों का इस किले पर अनादि काल से आधिपत्य रहा था।
मूल-निवासी मीणा राजा हम्मीर देव, स्वतंत्रता, धर्म संस्कृति प्रेमी थे। उन जैसे और भी मीणा राजा रहें थे। जिन्होंने आन, बान, शान, शौर्य जैसे गुणों की वज़ह से मुसलमानों की अधीनता स्वीकार नहीं की थी।
हमीर देव जैसे और भी महान् मीणा राजा हुए हैं। उनके गौरवशाली इतिहास के बारे में आज कोई सोचने, लिखने वाला भी नहीं है, ये बातें कबीर के दोहे से और अधिक स्पष्ट हो जाती है।
लकडी जल कोयला भई, कोयला जल भई राख,
मैं बिरहन ऐसी जली, कोयला भई न राख।
रणथंभौर दुर्ग के मीणा राजा हमीर के सम्बन्ध में लोक प्रचलित प्रशस्तियां आज भी घर-घर में प्रचलित है।
सिंह-सवन, सत्पुरुष वचन, कदली फले इकबार,
तिरिया तेल हम्मीर हठ, चढै न दूजी बार।
राजा लुटै फौजा मौडे, नित उठ करें पौबारा,
दो नगर मीणा टाटुओ का, क़िला रणतभंवर, गढ़ टटवारा।
ऐसे वीर शिरोमणि मीणा राजा थे, राव हम्मीर देव टाटू, मीणा।
रणथंभौर दुर्ग उनकी राजधानी रहीं थीं, जिसकी सीमाएं यमुना व दिल्ली तक रही थी।
आज का इतिहास किस दौर से गुजर रहा है। मीणाओ का भूगोल और इतिहास सब कुछ बदल दिया गया है।
गौरवशाली मीणा इतिहास का हाल उसी तरह हुआ है, जैसे राजस्थान में सत्ता परिवर्तन होने पर बीजेपी & कांग्रेस की योजनाओं के नाम बदल दिये जाते हैं, वैसा ही हाल 12वीं शताब्दी के बाद मीणा इतिहास का हुआ है। राजस्थान के अनेक ऐतिहासिक क़िले, दुर्ग,बावडियाॅ मीणा राजाओ द्वारा निर्मित किये गये थे। जैसे:- आमेर, चितौड़गढ, बूंदी,रणथंभौर लेकिन आज उनपर नेमप्लेट किसी और की है ।
हमें मीणा इतिहास के बारे में और अधिक शौध करने के साथ सोच, विचार, और मंथन करने की जरूरत है।
प्राचीन काल से राजस्थान में एक कहावत रही है।
क तो मीणी जायो क राणी जायो।
इतिहास गवाह है। हमारे मीणा पूर्वजों ने समस्त राजस्थान में राज किया था। समाज की ऐतिहासिक जानकारियों से लाभ।
जिन लोगों को अपनी जाति का इतिहास, उत्पत्ति, और संस्कृति का ज्ञान नहीं है, वे बिना जड़ वाले पेड़ की तरह है।
एक जाति जिसने अपना इतिहास भुला दिया है। उसका कोई भविष्य नहीं है।
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