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महेन्द्र सिंह टिकैत

उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली में 6 अक्टूबर 1935 को एक किसान परिवार में जन्मे टिकैत ने गांव के ही एक जूनियर हाई स्कूल में कक्षा सात तक शिक्षा प्राप्त की। उनके पिता का नाम चोहल सिह टिकैत व माता का नाम मुखत्यारी देवी था। चौहल सिंह बालियान खाप के चौधरी थे, पिता की मृत्यु के समय टिकैत की आयु महज आठ वर्ष थी। इतनी छोटी सी आयु में इन्हें बालियान खाप की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। बालियान खाप का नेतृत्व करते-करते उन्होंने जल्द ही भांप लिया था कि अकेली जातीय खाप पंचायत वर्तमान सिस्टम से लड़ने में कमजोर पड़ रही है तो उन्होंने सामाजिक सुधार के कार्यक्रमों को क्रियान्वित करते हुए सन् 1950,1952,1956, 1963 में बड़ी सर्वखाप पंचायते बुलाई और उसमे पूर्ण रूप से भागीदारी निभाते हुए दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, नशाखोरी भ्रूण हत्या, दिखावे-आडम्बर आदि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की। सिसौली में 17 अक्टूबर 1986 सभी जाति, धर्म और खापों के चौधरियों, किसानों व किसान प्रतिनिधियो की साझा हित साझी समस्या को देखते महापंचायत की गई। इसी दौरान भारतीय किसान यूनियन के गठन की घोषणा की गई और टिकैत को सर्वसम्म...

रणथंभौर दुर्ग

रणथंभौर क़िला सवाई माधोपुर राजा हम्मीर सिंह (हमीर देव) गौत्र टाटू (मीणा) और अलाउद्दीन खिलजी के मध्य युद्ध सन् 1301 से 1312 तक, करीब 12वर्षो तक लंबा चला, मीणा राजा हमीर सिंह के दो पुत्र और एक पुत्री थी, दोनों पुत्र युद्ध में मारे गए, पुत्री का नाम देवल और पत्नी का नाम आशा मीणा था। अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंभौर किले का घेरा डाल रखा था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल रही थी। आखिर में अलाउद्दीन ने धोखे से हमीर के एक सेनापति को अपनी और कर मीणा राजाओ के द्वारा बनाया गया अति प्राचीन अजेय दुर्ग पर कब्जा कर लिया था। रणथंभौर किला महाभारत कालीन माना जाता है। (लगभग 5500 सौ साल पुराना) मीणा क्षत्रियों का इस किले पर अनादि काल से आधिपत्य रहा था। मूल-निवासी मीणा राजा हम्मीर देव, स्वतंत्रता, धर्म संस्कृति प्रेमी थे। उन जैसे और भी मीणा राजा रहें थे। जिन्होंने आन, बान, शान, शौर्य जैसे गुणों की वज़ह से मुसलमानों की अधीनता स्वीकार नहीं की थी। हमीर देव जैसे और भी महान् मीणा राजा हुए हैं। उनके गौरवशाली इतिहास के बारे में आज कोई सोचने, लिखने वाला भी नहीं है, ये बातें कबीर के दोहे से और अधिक स्पष्ट हो जाती ...

Meena High Court आदिवासी मीणा हाईकोर्ट

आपने राजस्थान हाई कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट, मद्रारा हाई कोर्ट, ईलाहाबाद हाई कोर्ट सहित कई हाईकोर्ट के नाम सुने होंगे। एक ऐसी सामाजिक पंच अथाई के बारे में जिसे राजस्थान में मीणा हाईकोर्ट के नाम से जाना जाता है। जी हां राजस्थान के दौसा जिले के नांगल प्यारिवास गांव में बनी है मीणा हाईकोर्ट मीणा हाईकोर्ट का नाम ऐसे ही नहीं पड़ा है इसके पीछे बड़ा रहस्य हैं। स्वर्गीय भैरो सिंह शेखवात तत्कालीन मुख्यमंत्री राजस्थान मीणा समाज के लोगों का कहना है कि वर्ष 1990-1991 के के में जब राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत जी की सरकार थी। उस समय चूडियावास गांव जो दोसा जिले में पड़ता है। पचवारा इलाका है और मीणा समाज का बहुत बड़ा बाहुल्य भी है। गांव में होने वाले सामाजिक स्तर के छोटे मोटे फैसले समाज की पंचायत ही करने का रिवाज था। बुडियावास गांव में एक युवक की उसके ससुराल में मौत हो जाती है और युवक के परिजनों का आरोप होता है कि उसकी मौत नहीं हत्या की गई है। जब यह बात मीणा समाज के पंच पटेलों के पास पहुंचती है, तो मीणा समाज के बंच पटेल इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि इस मामले में युवक ससुराल वाले दोषी हैं ऐसे म...